प्यार का मतलब समझने के लिए,जरुरी है प्यार को पहले समझा तो जाए...प्यार कोई बेजान किताब
नहीं,जिस को सिर्फ फुर्सत मे पढ़ा जाए..जब सारे काम खतम हो जाए,तब वक़्त मिलने पर साथी को
वक़्त दिया जाए..''बेहद प्यार है आप से''यह कह कर उस को बहला दिया जाए..साथी को तवज्जो ना
देना,सिर्फ यह सोच कर...अब तो यह मेरा है..ख्याल ख्याल का फर्क है,हम अपना वक़्त काट कर आप
को वक़्त देते रहे और आप...सब निबटा कर हम को वक़्त देते रहे...
नहीं,जिस को सिर्फ फुर्सत मे पढ़ा जाए..जब सारे काम खतम हो जाए,तब वक़्त मिलने पर साथी को
वक़्त दिया जाए..''बेहद प्यार है आप से''यह कह कर उस को बहला दिया जाए..साथी को तवज्जो ना
देना,सिर्फ यह सोच कर...अब तो यह मेरा है..ख्याल ख्याल का फर्क है,हम अपना वक़्त काट कर आप
को वक़्त देते रहे और आप...सब निबटा कर हम को वक़्त देते रहे...