तेरी याद किसी भी झरोखें से ना आए,सारे किवाड़ बंद कर दिए हम ने..हर खिड़की को सलीके से बंद
किया और इत्मीनान से सोने लगे..अब यहाँ हवा का भी कोई आना-जाना नहीं है..गुजारिश है आप से
इत्मीनान से खुद को मसरूफ रख लीजिए,आप को अब हम भी ना याद आए गे..धक् धक् यह कैसी,
दिल के इस दरवाजे पे अब कौन सी दस्तक तेरी..उफ़..कहाँ कहाँ बसते है आप,जिस्म के हर कोने मे
क्यों समाए है आप..देखिए जनाब,सकून अब आप का भी उड़ाए गे..कैसे करते है काम,यह भी कमाल
कर के दिखाए गे हम..
किया और इत्मीनान से सोने लगे..अब यहाँ हवा का भी कोई आना-जाना नहीं है..गुजारिश है आप से
इत्मीनान से खुद को मसरूफ रख लीजिए,आप को अब हम भी ना याद आए गे..धक् धक् यह कैसी,
दिल के इस दरवाजे पे अब कौन सी दस्तक तेरी..उफ़..कहाँ कहाँ बसते है आप,जिस्म के हर कोने मे
क्यों समाए है आप..देखिए जनाब,सकून अब आप का भी उड़ाए गे..कैसे करते है काम,यह भी कमाल
कर के दिखाए गे हम..