Monday 28 October 2019

आसमां को छूना है तो खुद को सोने की तरह तपाना तो होगा..रंजिशों से परे खुद को खुद ही बनाना

होगा..मंज़िल का तो अभी नाम ही मालूम नहीं..मगर पहुंचना है शिखर तक,यह ख़्वाब तो खुद के

अंदर जगाना होगा..जज़्बा ज़िंदा रखे गे तो ही खुद को उठा पाए गे..जहां भी जाए गे,माँ की यह बात

साथ-साथ ले कर जाए गे..''कामयाबी मिलती उन्ही को है,जो दिल से पाक रहते है..खुद को उठाने के

लिए,दूजो को ना गिराया करते है..रहना सदा धरा पे ही,चाहे आसमां की बुलंदियों को भी पा लो'' माँ,हम

कही भी जाए गे,तेरी सीख़ कभी ना भूल पाए गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...