Tuesday 22 October 2019

जग दे रहा है मान हमारे लफ्ज़ो को..कितना लिखा,यह जान खुद है हैरान..कलम को कभी उस नज़र

से देखा नहीं,यह बहुत कुछ हम से लिखवाती रही..जब भी लिखा,बेखौफ लिखा..डर कर कभी जिए नहीं..

बचपन की पहले होश से जो लिखा तो ताउम्र लिखते जाए गे..आज यू ही मन किया,कलम अपनी को

खुद ही सलाम किया..शर्त रख दी सामने,झुकाना ना कभी मान मेरा..कि हम तो बने ही है सिर्फ लिखने

के लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...