जग दे रहा है मान हमारे लफ्ज़ो को..कितना लिखा,यह जान खुद है हैरान..कलम को कभी उस नज़र
से देखा नहीं,यह बहुत कुछ हम से लिखवाती रही..जब भी लिखा,बेखौफ लिखा..डर कर कभी जिए नहीं..
बचपन की पहले होश से जो लिखा तो ताउम्र लिखते जाए गे..आज यू ही मन किया,कलम अपनी को
खुद ही सलाम किया..शर्त रख दी सामने,झुकाना ना कभी मान मेरा..कि हम तो बने ही है सिर्फ लिखने
के लिए...
से देखा नहीं,यह बहुत कुछ हम से लिखवाती रही..जब भी लिखा,बेखौफ लिखा..डर कर कभी जिए नहीं..
बचपन की पहले होश से जो लिखा तो ताउम्र लिखते जाए गे..आज यू ही मन किया,कलम अपनी को
खुद ही सलाम किया..शर्त रख दी सामने,झुकाना ना कभी मान मेरा..कि हम तो बने ही है सिर्फ लिखने
के लिए...