Thursday 3 October 2019

मुहब्बत जब भी बेवफा होती है,ज़िंदगी वही खामोश हो जाती है...तलाश जब कोई नए साथी की होती

है,मुहब्बत वही दम तोड़ देती है..कहानी फिर दुबारा कहां बनती है,जब साथ चलने के लिए यही

मुहब्बत बेरुख हो जाया करती है..समर्पण बार-बार नहीं होता,सज़दा करने के लिए दिल बार-बार

नहीं झुकता..ख़त्म जब सब होता है,आसमां रोता है यह जमीं टूट जाती है..आकाश से गिरता है सैलाब

इतना कि सांस जो टूटी फिर कभी लौट के नहीं आती है... 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...