Saturday 19 October 2019

दोस्तों ..''सरगोशियां'' मे आप का तहे-दिल से स्वागत है,मगर कुछ चुनिंदा लोग ऐसे भी है जो मेरी सरगोशियां से जुड़े तो है मगर अपनी प्रतिक्रिया इतनी अशोभनीय लिखते है,कि क्या कहू..उन सभी से मेरा विनम्र निवेदन है कि अगर आप प्रेम प्यार के इन पाक लफ्ज़ो को जानना ही नहीं चाहते या आप का दिमाग ही कुलषित है तो कृपया सरगोशियां मे ना आए..जो इंसान शायरी को समझ ही नहीं सकता,जो मेरी मेहनत के लिखे शब्दों को इज़्ज़त नहीं दे सकता..उन को मैं कहती हु कि अपनी ही दुनिया मे लौट जाइए..मेरी सरगोशियां सिर्फ शुद्ध प्रेम को दर्शाती है,जिस मे साथ है प्रेम का हर रूप..अगर आप मेरा, मेरे शब्दों का अपमान करने आए है तो आप मेरे दोस्त कहलाने के लायक ही नहीं है..शायरा हू..एक लेखिका भी हू..जो मन से ह्रदय से कोमल भावनाएं रखते है..मेरी भावनाओ का उपहास करने की इज़ाज़त नहीं देती मेरी यह ''''सरगोशियां'''''....शुभकामनाएं सभी के लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...