कह रही है चांदनी सो जाओ ना,चाँद तो आज परदे मे है...वो बेखबर मुझ से ही है,बादलो की ओट मे
है..गुफ्तगू करे गा क्यों,नींद के झोकों मे है...इल्तिज़ा करते है चाँद तुम से,बार-बार छुपते हो क्यों
बादलो की ओट मे..बात कैसे माने भला,चैन आता नहीं तुझे देखे बगैर..गर वो है तेरी चांदनी,तो
हम है तेरे हमनशीं..हमनशीं से जयदा हम है तेरे हमनवा,हमकदम...बाहर आइए जरा बादलो की
ओट से,इक झलक देख तेरी सो जाए गे मदहोश से...
है..गुफ्तगू करे गा क्यों,नींद के झोकों मे है...इल्तिज़ा करते है चाँद तुम से,बार-बार छुपते हो क्यों
बादलो की ओट मे..बात कैसे माने भला,चैन आता नहीं तुझे देखे बगैर..गर वो है तेरी चांदनी,तो
हम है तेरे हमनशीं..हमनशीं से जयदा हम है तेरे हमनवा,हमकदम...बाहर आइए जरा बादलो की
ओट से,इक झलक देख तेरी सो जाए गे मदहोश से...