Monday 14 October 2019

कह रही है चांदनी सो जाओ ना,चाँद तो आज परदे मे है...वो बेखबर मुझ से ही है,बादलो की ओट मे

है..गुफ्तगू करे गा क्यों,नींद के झोकों मे है...इल्तिज़ा करते है चाँद तुम से,बार-बार छुपते हो क्यों

बादलो की ओट मे..बात कैसे माने भला,चैन आता नहीं तुझे देखे बगैर..गर वो है तेरी चांदनी,तो

हम है तेरे हमनशीं..हमनशीं से जयदा हम है तेरे हमनवा,हमकदम...बाहर आइए जरा बादलो की

ओट से,इक झलक देख तेरी सो जाए गे मदहोश से...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...