Tuesday 1 October 2019

कहा माना उस ने मेरा और पाँव हमारे थिरक गए...यू लगा जैसे आसमाँ मे हम उड़ गए...जी करता

है आज खुद को खूब सँवारे,निखारे इतना कि होश उन के उड़ा दे...दिन बेशक चल रहे है जुदाई के,

सांस लेने की फुर्सत कहाँ है मशगूल है अपनी तन्हाई मे...वादा कोई नहीं किया लेकिन फासला कम

हुआ कहाँ  है..वो मुझ मे है,मैं उस मे हू,कहने को साथ कोई नहीं है...बहार दोनों के पास है,बेशक दिन

चल रहे है जुदाई के...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...