कहा माना उस ने मेरा और पाँव हमारे थिरक गए...यू लगा जैसे आसमाँ मे हम उड़ गए...जी करता
है आज खुद को खूब सँवारे,निखारे इतना कि होश उन के उड़ा दे...दिन बेशक चल रहे है जुदाई के,
सांस लेने की फुर्सत कहाँ है मशगूल है अपनी तन्हाई मे...वादा कोई नहीं किया लेकिन फासला कम
हुआ कहाँ है..वो मुझ मे है,मैं उस मे हू,कहने को साथ कोई नहीं है...बहार दोनों के पास है,बेशक दिन
चल रहे है जुदाई के...
है आज खुद को खूब सँवारे,निखारे इतना कि होश उन के उड़ा दे...दिन बेशक चल रहे है जुदाई के,
सांस लेने की फुर्सत कहाँ है मशगूल है अपनी तन्हाई मे...वादा कोई नहीं किया लेकिन फासला कम
हुआ कहाँ है..वो मुझ मे है,मैं उस मे हू,कहने को साथ कोई नहीं है...बहार दोनों के पास है,बेशक दिन
चल रहे है जुदाई के...