कायनात की बहारों को छोड़ कर,तमाम हसरतो से दूर बहुत ही दूर..रेगिस्तान की धरा पे निकल आए
है..शायद अब यह बेहद जरुरी था...लक्ष्य अपने को पूरा करने के लिए,पांवो का तपती रेत पे जलाना
बेहद जरुरी है..कुछ पाने के लिए खुद को यह जताना जरुरी है,मंज़िल यू ही नहीं मिला करती..इस के
लिए अब शब्दों का गूढ़ अर्थ खुद को समझाना बहुत लाज़मी है..छू कर बाबा के चरण,इन शब्दों मे
इतना ग़ुम हो जाए गे..जब तक खुद को साबित ना कर दे,इन्ही शब्दों की दुनिया मे जीवन बिताए गे..
है..शायद अब यह बेहद जरुरी था...लक्ष्य अपने को पूरा करने के लिए,पांवो का तपती रेत पे जलाना
बेहद जरुरी है..कुछ पाने के लिए खुद को यह जताना जरुरी है,मंज़िल यू ही नहीं मिला करती..इस के
लिए अब शब्दों का गूढ़ अर्थ खुद को समझाना बहुत लाज़मी है..छू कर बाबा के चरण,इन शब्दों मे
इतना ग़ुम हो जाए गे..जब तक खुद को साबित ना कर दे,इन्ही शब्दों की दुनिया मे जीवन बिताए गे..