Wednesday 9 October 2019

लफ्ज़ो को चुना उन लफ्ज़ो के लिए,जो सब से करीब हमारे थे...सपनो से जुड़े,अपनों से जुड़े..कभी

लिख लिख के खुद पे कहर ढाते रहे..लब कभी इन्हो ने हमारे सिले,थरथरा कर खुद ही खुद पे मिटे..

नाम ज़माने मे हासिल करने के लिए,यह साथ हमारे साथ चले..चुन चुन के कितना इन को लिखे,

यह सभी तो हमारे करीब रहे...लाड-दुलार जब भी इन पे जयदा आए,ख़ामोशी से पढ़ लेते है इन को..

फिर कोई और कुछ याद ना आए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...