लफ्ज़ो को चुना उन लफ्ज़ो के लिए,जो सब से करीब हमारे थे...सपनो से जुड़े,अपनों से जुड़े..कभी
लिख लिख के खुद पे कहर ढाते रहे..लब कभी इन्हो ने हमारे सिले,थरथरा कर खुद ही खुद पे मिटे..
नाम ज़माने मे हासिल करने के लिए,यह साथ हमारे साथ चले..चुन चुन के कितना इन को लिखे,
यह सभी तो हमारे करीब रहे...लाड-दुलार जब भी इन पे जयदा आए,ख़ामोशी से पढ़ लेते है इन को..
फिर कोई और कुछ याद ना आए...
लिख लिख के खुद पे कहर ढाते रहे..लब कभी इन्हो ने हमारे सिले,थरथरा कर खुद ही खुद पे मिटे..
नाम ज़माने मे हासिल करने के लिए,यह साथ हमारे साथ चले..चुन चुन के कितना इन को लिखे,
यह सभी तो हमारे करीब रहे...लाड-दुलार जब भी इन पे जयदा आए,ख़ामोशी से पढ़ लेते है इन को..
फिर कोई और कुछ याद ना आए...