खवाबों का प्यार है हकीकत का नहीं...कितना पाक है,खबर मुझ को भी नहीं...बदलता है रूप हर
बार यू ही..कभी कृष्ण हो तुम राधा होती हू कभी..शिव बन साथ होते हो मेरे,पार्वती बन साथ हमेशा
रहती हू कभी...तेरे थकते कदम को सहारा देने के लिए,तुझे हर बात याद दिलाने के लिए.साए की
तरह बिलकुल साथ होती हू कभी..दर्द और विरह के बादल हमेशा कहां रहते है..जो तुझे आसमां की
बुलंदियों तक पंहुचा दे,यह प्यार खवाबों का कुछ भी कर सकता है...
बार यू ही..कभी कृष्ण हो तुम राधा होती हू कभी..शिव बन साथ होते हो मेरे,पार्वती बन साथ हमेशा
रहती हू कभी...तेरे थकते कदम को सहारा देने के लिए,तुझे हर बात याद दिलाने के लिए.साए की
तरह बिलकुल साथ होती हू कभी..दर्द और विरह के बादल हमेशा कहां रहते है..जो तुझे आसमां की
बुलंदियों तक पंहुचा दे,यह प्यार खवाबों का कुछ भी कर सकता है...