Wednesday 2 October 2019

खवाबों का प्यार है हकीकत का नहीं...कितना पाक है,खबर मुझ को भी नहीं...बदलता है रूप हर

बार यू ही..कभी कृष्ण हो तुम राधा होती हू कभी..शिव बन साथ होते हो मेरे,पार्वती बन साथ हमेशा

रहती हू कभी...तेरे थकते कदम को सहारा देने के लिए,तुझे हर बात याद दिलाने के लिए.साए की

तरह बिलकुल साथ होती हू कभी..दर्द और विरह के बादल हमेशा कहां रहते है..जो तुझे आसमां की

बुलंदियों तक पंहुचा दे,यह प्यार खवाबों का कुछ भी कर सकता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...