दोस्तों... ''सरगोशियां..इक प्रेम ग्रन्थ'' मे यह शायरा,लेखिका आप सब का तहे-दिल से स्वागत करती है..''मेरी सरगोशियां''इस प्रेम ग्रन्थ मे लिखे जाने वाले हर शब्द को आप सभी ने जो प्यार और अपनापन दिया है / दे रहे है..यह शायरा आप सभी को हाथ जोड़ कर शुक्रिया कहती है...साथ मे यह गुजारिश भी करती है कि मेरे लिखे शब्दों मे कभी आप को कोई कमी नज़र आए तो भी बताना ना भूलिए गा..दोस्त भी तो हू आप सब की.. मेरा हर लफ्ज़ आप के दिलो मे सीधे से उतर जाए,मेरी पूरी कोशिश रहती है..प्रेम,प्यार और मुहब्बत के करोड़ो रंगो से सजी मेरी यह ''सरगोशियां'' आप को रोज़ हर रोज़ इस के नए नए रूप से परिचित करवाती रहे गी..और आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतज़ार भी करे गी ''''''' मेरी सरगोशियां''''आप की अपनी शायरा..
Wednesday, 30 October 2019
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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बैठे है खुले आसमाँ के नीचे,मगर क्यों है बेहद ख़ामोशी यहाँ...कलम कह रही है क्यों ना लिखे ख़ामोशी की दास्तां यहाँ...आज है ख़ामोशी खामोश यहाँ औ...
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मुददत हो गई तुम से जुदा हुए,पल फिर दिन,फिर महीने और अब बरसो बीत चुके है... पर उस मुहबबत को,उस चाहत को आज भी भूल नही पाए है...बातो की वो ख...
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एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....