नज़ाकत और नफासत..मुहब्बत और शराफत..इज़्ज़त और झुकावट..तक़दीर से यह मिला हम को..
ढूंढ़ने जब निकले दुनियाँ के बाज़ार मे,कुछ मिला..मगर सब कुछ नहीं मिला.. जो होते है बुलंदियों
पे वो अक्सर गरूर से भर जाया करते है..नज़ाकत हो तो नफासत को भूल जाया करते है..शराफत
से जो मुहब्बत को ताउम्र निभा जाए,दुनियाँ के इस बाज़ार मे ऐसे शख़्स कहां होते है..मुहब्बत को
जो यह सभी नाम दे,ऐसे नाम कहां मिलते है..
ढूंढ़ने जब निकले दुनियाँ के बाज़ार मे,कुछ मिला..मगर सब कुछ नहीं मिला.. जो होते है बुलंदियों
पे वो अक्सर गरूर से भर जाया करते है..नज़ाकत हो तो नफासत को भूल जाया करते है..शराफत
से जो मुहब्बत को ताउम्र निभा जाए,दुनियाँ के इस बाज़ार मे ऐसे शख़्स कहां होते है..मुहब्बत को
जो यह सभी नाम दे,ऐसे नाम कहां मिलते है..