पल को पल से जोड़ा और इक रिश्ते का आशियाना सा बना लिया..हर उस महकती सांस को उसी सांस
से जोड़ा और मुहब्बत को अमर कर दिया..कौन जाने यह ज़िंदगी कभी मिलन की घड़ियाँ झोली मे
दे या ना दे..पर हम ने तो तेरी सूरत अपनी रूह मे इस कदर बिठा ली..आंखे बंद करे तो भी तू है,आंखे
खोले तो भी तू है..समर्पण कहाँ कुछ माँगता है,वो तो सिर्फ बलिदान देना ही जानता है..तेरी ख़ुशी मे
मुस्कुरा दिए और तेरे दर्द मे खुल के रो दिए..
से जोड़ा और मुहब्बत को अमर कर दिया..कौन जाने यह ज़िंदगी कभी मिलन की घड़ियाँ झोली मे
दे या ना दे..पर हम ने तो तेरी सूरत अपनी रूह मे इस कदर बिठा ली..आंखे बंद करे तो भी तू है,आंखे
खोले तो भी तू है..समर्पण कहाँ कुछ माँगता है,वो तो सिर्फ बलिदान देना ही जानता है..तेरी ख़ुशी मे
मुस्कुरा दिए और तेरे दर्द मे खुल के रो दिए..