Wednesday 2 October 2019

वल्लाह..इन पन्नो ने आज लहरा कर कहा मुझ से,मुहब्बत हो गई हम को आप से...क्या करे आप

जो लिखते है,फ़िदा हम आप पे हो जाते है..हम मुस्कुरा दिए..''ध्यान से सुनो जरा..गलतफहमी मे

ना रहो जरा..ना लिखते है तुम्हारे लिए,ना लिखते है हमारे लिए..मुहब्बत को हम लिखते है,इस

मुहब्बत को आबाद करने के लिए..पुश्त दर पुश्त पढ़े गी दास्तां मुहब्बत की..इश्क फिर ढूंढ ले गा

अपने हुस्ने-राह को,और यह हुस्न फिर होगा फ़ना अपने ही इश्क की पनाह मे''...



दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...