बेशक सितारों के झुरमुट मे चाँद नहीं है आज..मगर सितारों का मेला क़ाबिले-तारीफ है..दूर तक
नज़र जहाँ भी रूकती है,सितारों की महफ़िल ही दिखती है..गौर से कभी देखा नहीं इन को,चाँद को
घिरा देखा बस इन्ही की आगोश मे..खूबसूरती पे इन्ही की हम फ़िदा हो गए..चाँद की इंतज़ार करना
ही भूल गए..झुरमुट के किनारे-किनारे हम दूर तक इन्ही को देखते चले गए...
नज़र जहाँ भी रूकती है,सितारों की महफ़िल ही दिखती है..गौर से कभी देखा नहीं इन को,चाँद को
घिरा देखा बस इन्ही की आगोश मे..खूबसूरती पे इन्ही की हम फ़िदा हो गए..चाँद की इंतज़ार करना
ही भूल गए..झुरमुट के किनारे-किनारे हम दूर तक इन्ही को देखते चले गए...