क्यों कहे ज़िंदगी तुझ से नाराज़ है..क्यों कहे किसी बात से अनजान है..यह राहें-वफ़ा जो पास पास
है,यह खुशबुओं के मेले रूह के नज़दीक है..क्यों कहे तुझ से कि जीना भूल गए है..नादान है मासूम
है,पर चारों और से खबरदार है..कोई कुछ भी क्यों ना कहे,अपनी ही धुन मे अब बहने को तैयार है..
खुल रही है राहें,मिल रही है साँसे..कुदरत का करम जब साथ है तो यही कहे गे,ज़िंदगी तुझ से अब
नाराज़ नहीं है...
है,यह खुशबुओं के मेले रूह के नज़दीक है..क्यों कहे तुझ से कि जीना भूल गए है..नादान है मासूम
है,पर चारों और से खबरदार है..कोई कुछ भी क्यों ना कहे,अपनी ही धुन मे अब बहने को तैयार है..
खुल रही है राहें,मिल रही है साँसे..कुदरत का करम जब साथ है तो यही कहे गे,ज़िंदगी तुझ से अब
नाराज़ नहीं है...