''''आदि भी तुम अनंत भी तुम..तुम ही तुम बस तुम ही तुम''''--स्वीकार कर लहर समंदर मे समा
गई..किनारे-किनारे चलती रही सदियों तल्क़,अंत उसी मे समा गई..जान उस के प्यार को समंदर
ने लहर को अपना लिया..जो भरा था खुद नीर से,एक आंसू उस के भी आ गया..लहर-समंदर अब
साथ है,बेशक कितनी और लहरे उन दोनों के आस-पास है..वफ़ा दोनों मे है,जीने-मरने के वादे भी
कुछ खास है...'''आदि भी तुम अनंत भी तुम..तुम ही तुम बस तुम ही तुम''''
गई..किनारे-किनारे चलती रही सदियों तल्क़,अंत उसी मे समा गई..जान उस के प्यार को समंदर
ने लहर को अपना लिया..जो भरा था खुद नीर से,एक आंसू उस के भी आ गया..लहर-समंदर अब
साथ है,बेशक कितनी और लहरे उन दोनों के आस-पास है..वफ़ा दोनों मे है,जीने-मरने के वादे भी
कुछ खास है...'''आदि भी तुम अनंत भी तुम..तुम ही तुम बस तुम ही तुम''''