Wednesday 2 October 2019

''''आदि भी तुम अनंत भी तुम..तुम ही तुम बस तुम ही तुम''''--स्वीकार कर लहर समंदर मे समा

गई..किनारे-किनारे चलती रही सदियों तल्क़,अंत उसी मे समा गई..जान उस के प्यार को समंदर

ने लहर को अपना लिया..जो भरा था खुद नीर से,एक आंसू उस के भी आ गया..लहर-समंदर अब

साथ है,बेशक कितनी और लहरे उन दोनों के आस-पास है..वफ़ा दोनों मे है,जीने-मरने के वादे भी

कुछ खास है...'''आदि भी तुम अनंत भी तुम..तुम ही तुम बस तुम ही तुम''''

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...