मुहब्बत को सींचे गे तब तल्क,जब तल्क साँसे ना निकल जाए..इबादत करे गे उसी मुहब्बत की,जो
पहली बार हुई और हज़ारो सवाल छोड़ गई...हर सवाल का जवाब उसी खुदा से मांगे गे,जब उस ने
करम किया था मुहब्बत का वरदान देने का..सोचते है वरदान गर खुदा का था तो हज़ारो सवाल किस
लिए...समझने के लिए जब कुछ ना बचा,तो इबादत करे गे उसी मुहब्बत की जो पहली बार हुई...
पहली बार हुई और हज़ारो सवाल छोड़ गई...हर सवाल का जवाब उसी खुदा से मांगे गे,जब उस ने
करम किया था मुहब्बत का वरदान देने का..सोचते है वरदान गर खुदा का था तो हज़ारो सवाल किस
लिए...समझने के लिए जब कुछ ना बचा,तो इबादत करे गे उसी मुहब्बत की जो पहली बार हुई...