धड़कन दिल की धीमे होने चली है और अब तक तेरी कोई खबर ही नहीं है..हवाओ से पूछ रहे है,किधर
है रुख जनाबे-आली का..फिजाओं ने बताया वो तो मसरूफ है ज़िंदगी की क़वायतो मे..खोजे कहाँ कहाँ
उस को,तेज़ी है चाल मे उस के इतनी कि रंजिशों से परे इक दुनियाँ है उस की..इक बरखा ही तो है,जिस
के शिकंजे मे वो अक्सर लिपट जाता है...वो उस पे मेहरबाँ नहीं होती कि हम से मिलाने का सही रास्ता
सिर्फ बरखा देती है..दिल अब उदास होने को है कि अब तक तेरी कोई खबर ही नहीं है..
है रुख जनाबे-आली का..फिजाओं ने बताया वो तो मसरूफ है ज़िंदगी की क़वायतो मे..खोजे कहाँ कहाँ
उस को,तेज़ी है चाल मे उस के इतनी कि रंजिशों से परे इक दुनियाँ है उस की..इक बरखा ही तो है,जिस
के शिकंजे मे वो अक्सर लिपट जाता है...वो उस पे मेहरबाँ नहीं होती कि हम से मिलाने का सही रास्ता
सिर्फ बरखा देती है..दिल अब उदास होने को है कि अब तक तेरी कोई खबर ही नहीं है..