हमारी हर बात को हवा मे उड़ा देना..खास पूजा को भी तवज्जो ना देना..रिश्ते को बेशक कोई नाम ना
दो,मगर पूजा का मान तो रखा होता..पूछने पे हमारे बात घुमा देना और प्यार का झूठा दावा करना..
समझते है सब कुछ मगर धीमे-धीमे खुद को बहुत पीछे ले जाना..मुहब्बत या तो होती है या फिर नहीं
होती है..इस के बीच दरमियाँ ना कुछ होता है,ना कुछ मिलता है..तन्हा रहना बहुत आसान है मगर यू
बात बात पे बात बदल देना,सहना आसान नहीं अब हमारे लिए..
दो,मगर पूजा का मान तो रखा होता..पूछने पे हमारे बात घुमा देना और प्यार का झूठा दावा करना..
समझते है सब कुछ मगर धीमे-धीमे खुद को बहुत पीछे ले जाना..मुहब्बत या तो होती है या फिर नहीं
होती है..इस के बीच दरमियाँ ना कुछ होता है,ना कुछ मिलता है..तन्हा रहना बहुत आसान है मगर यू
बात बात पे बात बदल देना,सहना आसान नहीं अब हमारे लिए..