तपती रेत पे जो उतरे तो लफ्ज़ और निखर आए..यह पाँव के छाले गहरी टीस के साथ दो बून्द अश्क
भी ले आए..आंखे बेशक नम है आज मगर इन्ही आँखों मे खवाब भी हज़ारो नज़र आए आज..बिख़र
के अब टूटना कैसा जब जाना है जल्द ही उस पार...खुशबू तो अब भी फिज़ाओ मे रस घोल रही है..
शायर बनना इतना आसान नहीं कि शायर को दुनियाँ भुला देती है वक़्त के साथ..मगर हम वो
हस्ती है जिस को यह दुनियाँ याद करे गी,हमारे चले जाने के भी बाद...
भी ले आए..आंखे बेशक नम है आज मगर इन्ही आँखों मे खवाब भी हज़ारो नज़र आए आज..बिख़र
के अब टूटना कैसा जब जाना है जल्द ही उस पार...खुशबू तो अब भी फिज़ाओ मे रस घोल रही है..
शायर बनना इतना आसान नहीं कि शायर को दुनियाँ भुला देती है वक़्त के साथ..मगर हम वो
हस्ती है जिस को यह दुनियाँ याद करे गी,हमारे चले जाने के भी बाद...