Monday 14 October 2019

क्यों खनक गई यह कांच की चूड़ियाँ आधी रात को..मिलन अधूरा ना रहे,पायल खुद ही रुखसत हो

गई बिन आवाज़ के..करधनी साथ मे पायल के, मुझे यह सन्देश दे गई..तेरी ख़ुशी मेरी ख़ुशी..ना रह

अब तू बंधन के किसी जाल मे..धीमे धीमे झुमके चले अपनी ही दिलकश चाल मे..मुबारक सभी ने

 दी चलते चलते,कहाँ सिर्फ इतना...इतनी पाक-मुहब्बत देखी नहीं कभी,सज़दे मे अब झुके कैसे कि

समर्पण की बेला मे अब हमारी जरुरत कहाँ रही..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...