क्यों खनक गई यह कांच की चूड़ियाँ आधी रात को..मिलन अधूरा ना रहे,पायल खुद ही रुखसत हो
गई बिन आवाज़ के..करधनी साथ मे पायल के, मुझे यह सन्देश दे गई..तेरी ख़ुशी मेरी ख़ुशी..ना रह
अब तू बंधन के किसी जाल मे..धीमे धीमे झुमके चले अपनी ही दिलकश चाल मे..मुबारक सभी ने
दी चलते चलते,कहाँ सिर्फ इतना...इतनी पाक-मुहब्बत देखी नहीं कभी,सज़दे मे अब झुके कैसे कि
समर्पण की बेला मे अब हमारी जरुरत कहाँ रही..
गई बिन आवाज़ के..करधनी साथ मे पायल के, मुझे यह सन्देश दे गई..तेरी ख़ुशी मेरी ख़ुशी..ना रह
अब तू बंधन के किसी जाल मे..धीमे धीमे झुमके चले अपनी ही दिलकश चाल मे..मुबारक सभी ने
दी चलते चलते,कहाँ सिर्फ इतना...इतनी पाक-मुहब्बत देखी नहीं कभी,सज़दे मे अब झुके कैसे कि
समर्पण की बेला मे अब हमारी जरुरत कहाँ रही..