Sunday 20 October 2019

यह आंखे यह पलके..क्यों झुकती है बार-बार तेरा सज़दा करने के लिए..तेरी ही आगोश मे है,लगता

है ज़न्नत के किसी दौर मे है..कौन कहता है यह साँसे रुक सकती है..जब तल्क़ यह आगोश है,साँसे

खूबसूरती से महक सकती है..दिल धड़कना बंद कैसे कर सकता है,फिजाओं मे फूल जब हम से ही

खिलते है..हज़ारो दिलों की धड़कनों मे बसे है,किसी परी की तरह जग मे बसे है...मासूमियत को अब

तक समेटे है तो भला यह साँसे कैसे रुक सकती है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...