सीप जब मोती बन कर ढली,कुदरत का एक गज़ब करिश्मा बनी..गहराई की सतह मापी कहां गई,
जब गहराई खुद मोती से बनी..ना थी चमक-दमक ना कोई चकाचौंध,खामोश बहुत थी सरल सरल..
सहज सहज....उजाले सब को देते देते,खुद कंचन से हीरा बनी.. महकता जीवन सब को दे कर,वो
ज़न्नत की महारानी बनी..दुनिया समझी परियो की रानी,पर वो थी बस सरल सरल-सहज सहज..
सब को जीवन देने वाली,गज़ब गज़ब,सब से अलग...
जब गहराई खुद मोती से बनी..ना थी चमक-दमक ना कोई चकाचौंध,खामोश बहुत थी सरल सरल..
सहज सहज....उजाले सब को देते देते,खुद कंचन से हीरा बनी.. महकता जीवन सब को दे कर,वो
ज़न्नत की महारानी बनी..दुनिया समझी परियो की रानी,पर वो थी बस सरल सरल-सहज सहज..
सब को जीवन देने वाली,गज़ब गज़ब,सब से अलग...