रात रात भर जाग कर करवटें ना बदल,यह रात बेईमान हो जाए गी...फिर सुबह होने पे ना ले यू खुद
से अंगड़ाई कि सूरज की रौशन किरणें तुझी पे कुर्बान हो जाए गी...अब ना देखना आईने मे अपनी यह
मासूम सलोनी सूरत..फिर ना कहना यह आईना ज़िक्र मेरा सभी से करता है...कुछ सिला तो दे उन
सभी के लिए जो तेरे दीदार के लिए सड़कों की खाक छाना करते है...माना तू है हुस्ने-मलिका,मगर
गरूर इतना भी ना कर कि कभी कोई तेरा हमदम बनने के लिए तैयार ही ना हो...