जब भी आए अपने आप पे.. कभी मचा दी तबाही तो कभी रास्ते बदल दिए...ज़माना ढूंढता रहा हम
को और हम ने गज़ब पे गज़ब कर दिया..किसी ने ढूंढा हम को धरा के कोने मे तो कोई हम को अपने
दिलो मे ढूंढता रहा...प्यार की बोली बोले,मगर यह क्या..ज़माना हम को दीवाना पागल कहने लगा...
कुछ असूल है अपने भी,ज़माने को भी दिखा दिया...मासूम होना गुनाह तो नहीं..मिठास भर लेना खुद
मे पाप तो नहीं...पाप-पुण्य के कायदे सिखाने पे जो आए तो गज़ब पे गज़ब हमी ने ढा दिया....