कहां हो तुम अब लौट आओ..ज़िंदगी तुम बिन गुजरती नहीं,पास मेरे आ जाओ...तेरा वो चेहरा रोज़
दस्तक देता है मेरे दिल के आईने मे...यह परिंदे भी तेरा पैगाम रोज़ देते है मुझे...मुहब्बत आज भी
अधूरी है तेरे बिना...ज़न्नत का रास्ता भी रुक गया है तेरे बिन...मेरी पायल अब मुस्कुराती नहीं..नैनों
का यह कजरा बहकता नहीं तेरे बिन...खिलखिला के हंसू तो आ कर अपनी बाहों मे थाम ले मुझ को...
सजने संवरने हो गए है शुरू तुम भी चलना शुरू कर हमारी-तुम्हारी मंज़िल की तरफ...