तू मेरी जान है..तू ही मेरा जहान है..तेरे बिना मैं कुछ भी तो नहीं,यह मेरा तुझ से सच्चा वादा और यही
मेरी पहचान है...प्रेम मे,मुहब्बत मे अक्सर यही बोल होते है...मगर यह बोल कितने और कब तल्क
सच्चे रहते है...कभी दूर हो गए कि जिस्म के मेल रुक गए...कभी दूर हो गए कि दौलत के ख़ज़ाने ही
ख़तम हो गए...कभी कोई किसी और के प्रेम मे चला गया,जैसे प्रेम ना हुआ कोई तमाशा हो गया...प्रेम
इन सब से परे बहुत सकून का नाम है...जो प्रेम सकून ही ना दे वो भला प्रेम ही कहाँ है...राधा ना कृष्णा
संग बस पाई,मगर दोनों के प्रेम की आज यह बेमिसाल पहचान है...नाम है सदा राधा का आगे और
कृष्णा तो हमेशा उसी के प्रेम के साथ है...