Saturday 5 September 2020

 राज़ की बात सुने गे जरा..वो बात है इतनी ख़ास क्या सुन सके गे जरा..हज़ारो फूल महके गे,कितने 


मोती लब पे लहरे गे..क्या पहचान सके गे आप..कुछ तन्हाईयाँ अंगड़ाइयाँ ले रही है ख़्वाबों मे..कुछ 


सपने सज रहे है दिल के आंचल मे...लोग बरबस हमारी बलाईया लेने लगे...जिस राह से गुजरे,वही 


पे सज़दा करने लगे..तेरे दिल के जलने की महक मुझे आ रही है यहाँ तक..वो गुस्से से भरी आंखे दिख 


रही है यहाँ तक...चल छोड़,राज़ की यह बात अब बताए गे ना तुझे.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...