आप से प्यार है इतना कि इक दिन आप के शहर आए गे और आप के प्यार मे अपने नेत्र-दान कर के
खुद को साबित कर जाए गे...चुपके से देखे गे आप को,फूलों संग हँसते हुए...नज़र भर देखे गे आप को,
पौधों को पानी की ओस देते हुए...हम ने सादगी से समझाया उन को...प्यार स्वार्थ से बहुत परे होता है..
यह आप हमारे प्यार के लिए नहीं,अपने स्वार्थ को पूरा करने को करे गे..हम तो खड़े है प्यार के सब से
ऊँचे से ऊँचे पायदान पे,जहां इस की कोई जरुरत नहीं...बस ईमानदारी से प्यार संग हमारे निभा
दीजिए और अपने नेत्र-दान को किसी जरूरतमंद को दान दे दीजिए...