Saturday 26 September 2020

 यह राहें बहुत खूबसूरत है...जहां भी देखे बहारे ही बहारे है..माटी को छुए तो सोना दिखती है..खुद को 


निहारे तो हवा मे खुशबू मिलती है...जी चाहता है इन्ही हवाओ की खुशबू संग कही उड़ जाए..ना लौटे 


कभी इस ज़मीन पर बस इन खूबसूरत बहारों के ही हो जाए...गेसुओं को खुला छोड़ दिया...पायल को 


भी बजने से रोक दिया..चाहते है बहुत ख़ामोशी हो और हम ज़िंदगी की हर ख़ुशी को हासिल कर ले...


सुनसान वादियों मे खुद को ही पुकारे और वो गूंजती अपनी आवाज़ खुद ही सुन ले...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...