Thursday 24 September 2020

 वादियों मे घुला रंग प्यार का तो यह वादियां भी महक उठी..हम ने जैसे किए सोलह सिंगार,हर दुल्हन 


हमें देख शर्मा गई...नूर देख हमारे चेहरे का वो बोले..किस बगिया का फूल हो जो इतनी मासूम हो...


''इस नूर की रौशन बिजली तुझी पे गिरने वाली है..जिस बगिया से आए है उस बगिया की शान ही 


निराली है...संभाल जरा दिल अपना,यह रौशन-बिजलियां रोज़ रौशन नहीं होती...जिस बगिया के हम 


फूल है वहां उदासियाँ क़बूल ही नहीं होती..संग मेरे खिलखिला,इस नूर को कर सज़दा और सर झुका''..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...