वो बहुत छोटी सी थी...हां..कद-काठी मे..गुणवान थी उच्च-कोटि मे..प्यारी सी मुस्कराहट और प्यारा सा
दिल...बहुत कुछ था उस मे,जो सीखा जा सकता था..पर यह दुनियां उस को कितने अजीब नामो से
पुकारा करती थी...तुम कुछ नहीं कर पाओ गी जीवन मे,तानों से सज़ा देती थी..वो माँ की गोद मे छुप
के बहुत ही रोया करती थी..माँ की सीख,''जिस दिन तू आसमां का छोर छू ले गी,यह पगले सारे चुप
हो जाए गे''..अब वो ताने अनसुने कर देती थी...वक़्त की छाया गुजरी..अब वो ऊँची गद्दी पे बैठी है..
वही लोग जो उस को ताने देते थे,आज उसी के कदमो मे सर झुकाया करते है...