Sunday 20 September 2020

 मुद्दत बाद वो मिला मुझ को ज़िंदगी के उस मोड़ पे,जब हम भी अपने गमों की ख़ान मे मशगूल थे..


मुझे देख वो बोला,बहुत खुश दिखते हो..लगता है किस्मत तुम पे बहुत मेहरबान है...''हां दोस्त,सच मे 


किस्मत बहुत मेहरबान है मुझ पर''..काश,किस्मत मुझ पे भी मेहरबान होती यू ही,कह कर वो बेतहाशा 


रो दिया..उस की कहानी सुनी तो लगा वो ज़िंदगी से इसलिए हार बैठा है कि वो अब गरीब हो चुका 


है और सब ने उस से किनारा कर लिया है..पर हम बेतहाशा हंसे,सुन कौन अमीर होता है..कोई गरीब 


है दौलत से तो कोई सिर्फ दौलत के साथ भी गरीब होता है..छोड़ दे इन झमेलों को,यहाँ कौन किसी 


का अपना होता है...दास्तां जब हम ने अपनी उस को सुनाई तो वो बोला..''मेरा दोस्त दुनियाँ का सब 


से खूबसूरत अल्फ़ाज़ है''...




दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...