Sunday 27 September 2020

 नशे मे चूर है ना जाने कितनी ही ज़िंदगियां आज...दौलत मिली,शोहरत मिली  मगर यही दौलत सर पे 


 नशा बन चढ़ गई आज...क्या यह नशा बहुत जरुरी है...क्या यह नशा ज़िंदगी की कीमत से भी जयदा 


 अनमोल है..यही दौलत किसी जरूरतमंद को दी जाती तो कितना नाम अच्छों मे आता...नशे की भीड़ 


मे खोए तो नाम बदनामी के अन्धकार मे जाता...यह दौलत भी कमाल है,कही कोई इस के बिना भूखा 


है तो कही कोई इस के साथ नशे की गोद मे है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...