प्रेम की परिशुद्ध परिभाषा.......
प्रेम इक एहसास है...
प्रेम जीवन का दूजा नाम है..
प्रेम दूजे को सुख देने का संगम धाम है...
प्रेम सकून देने का अमृत वचन खास है...
प्रेम साथी की ख़ुशी का पैगाम है...
प्रेम साथी के लिए कुर्बानी का नाम है...
प्रेम देह का मिलन भर नहीं...
प्रेम दिल का शुद्धिकरण है...
प्रेम अभिमान का नाम नहीं..
प्रेम साथी को मुसीबत मे समझने का नाम है..
प्रेम साथी की मज़बूरी को जान लेने का नाम है...
प्रेम वक़्त बेवक़्त दूर रहने का भी नाम है...
प्रेम नाराज़गी से परे संजीदगी का नाम है...
प्रेम नासमझी से परे समझदारी का विश्राम है...
''सरगोशियां'' इक प्रेम ग्रन्थ...इस प्रेम से बंधा पन्नों का वो नाम है...''शायरा'' रहे या ना रहे इस दुनियां मे,मगर यह प्रेम ग्रन्थ खुद मे सदियों तल्क़ चलने वाला प्रेम का पैगाम और सन्देश है....