तेरे प्यार तेरी मुहब्बत का इक खूबसूरत सा महल सजा लिया हम ने...तेरे ही साथ जीने का खास जज़्बा
बना लिया हम ने...मुहब्बत का यह महल जानते हो,किस पे खड़ा है..जानम ,यह तेरी इबादत और मेरी
इबादत की डोर पे खड़ा है...ख़ुशी के कुछ फूल चुने हम ने और तुझी को नज़र कर दिए...अपने भी ना
हुए,बस तेरी ही धुन मे तुझी को समर्पित हो गए...कौन है हम,यह भी तो भूल गए...जानम,अब तुम ही
बता दो हम कौन है तेरे...कितनी सदियों से तेरे हो गए...