कौन कहता है दौलत ही इज़्ज़त का पैमाना है..और जो कहता है वो शायद अपने ज़मीर से अनजाना
है...किस के पास है खज़ाना दौलत का कितना..किस के पास है हीरे-जेवरात का पैमाना कितना...
किस ने किस के खाते को खंगाला..मोल तो मीठे शब्दों का है..मोल तो तहजीब की किताब का है...
वो अमीर है तो आप को क्या लेना है...अपनी चादर है जितनी,उसी मे तो रहना है..जब अपने आप मे
मन रमने लगे,जब किसी को देख यह दिल ना जलने लगे...सोच लीजे,इम्तिहान ज़िंदगी का पास कर
ही लिया तुम ने..अब मुस्कुरा दे यारा,जीवन है दो दिन का मेला...