Monday, 28 September 2020

 कौन कहता है दौलत ही इज़्ज़त का पैमाना है..और जो कहता है वो शायद अपने ज़मीर से अनजाना 


है...किस के पास है खज़ाना दौलत का कितना..किस के पास है हीरे-जेवरात का पैमाना कितना...


किस ने किस के खाते को खंगाला..मोल तो मीठे शब्दों का है..मोल तो तहजीब की किताब का है...


वो अमीर है तो आप को क्या लेना है...अपनी चादर है जितनी,उसी मे तो रहना है..जब अपने आप मे 


मन रमने लगे,जब किसी को देख यह दिल ना जलने लगे...सोच लीजे,इम्तिहान ज़िंदगी का पास कर 


ही लिया तुम ने..अब मुस्कुरा दे यारा,जीवन है दो दिन का मेला...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...