Friday 4 September 2020

 यह सितारे गर्दिश मे कहां रहते है..यह तो रहते है वहां,जहां दिलों के आंगन आबाद रहा करते है...


समझो तो यह गर्दिश मे है,मानो तो यह तन्हाई मे है...कभी पूछा इस ज़िंदगी से,तेरा बसेरा अभी और 


कितना है..वो ना बताए गी कभी क्यों कि उस को तो कभी भी चले जाना है..हर रोज़ लेते है इस को 


सर आँखों पे,इस की दुआ से जीते है इस देह के मयखाने मे...इस ने इक दिन चुपके से चले तो जाना 


है,फिर क्यों ना रोज़ इस का सिंगार करे...इस को बेइंतिहा प्यार करे...इंसा कब प्यार का सिला प्यार से 


देते है...खूबसूरत है यह ज़िंदगी जो हम को हर पल खुश रहने की कला सिखाती है...गर्दिश मे नहीं 


यह सितारे,यह तो आज भी है साँसों के द्वारे-द्वारे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...