Tuesday 22 September 2020

 कभी ज़िंदगी जीत गई तो कभी अरमान हार गए...कभी हंसी ग़ुम हो गई तो कभी आंसू इसी ग़म पे 


फ़िदा हो गए...कभी कभी चोरी से वो हम से ख़्वाबों मे मिले और जो बात दिन के उजाले मे ना कही, 


वो बात ख़्वाबों मे बता गए...ख़्वाब तो ख़्वाब ही होते है,उजाला होते ही टूट जाते है...मिलो हम से इस 


ज़िंदगी की हकीकत मे..चार कदम हम चले और चार कदम तुम भी चलो...कुछ तुम अपनी कहो तो 


कुछ हमारी भी सुनो...हम तो बहती नदिया की धारा है,हम से जरा संभल के बात करो..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...