कभी ज़िंदगी जीत गई तो कभी अरमान हार गए...कभी हंसी ग़ुम हो गई तो कभी आंसू इसी ग़म पे
फ़िदा हो गए...कभी कभी चोरी से वो हम से ख़्वाबों मे मिले और जो बात दिन के उजाले मे ना कही,
वो बात ख़्वाबों मे बता गए...ख़्वाब तो ख़्वाब ही होते है,उजाला होते ही टूट जाते है...मिलो हम से इस
ज़िंदगी की हकीकत मे..चार कदम हम चले और चार कदम तुम भी चलो...कुछ तुम अपनी कहो तो
कुछ हमारी भी सुनो...हम तो बहती नदिया की धारा है,हम से जरा संभल के बात करो..