मुहब्बत मे कोई फ़ना हो गया तो कोई मुहब्बत को मज़ाक बना धोखा ही दे गया..किसी को अपनी
मुहब्बत मे सिर्फ कमियां दिखी तो कोई उस को तमाम कमियों के बावजूद साथ आखिरी पल तक
निभा गया...किसी ने सिर्फ जिस्म को चाहा और कुछ वक़्त बाद साथ उसी का छोड़ कही और चला
गया..जिस ने पूजा मुहब्बत को खुदा समझ कर वो साथी की बेरुखी देख इस दुनियाँ से विदा ही हो
गया..साँसों का मोल तो तभी तक होता है जब तक मुहब्बत का नाम मुहब्बत के साथ होता है...