महकती चहकती इस सुबह ने बताया...बहुत कुछ खो कर जो पाया वही तो अपना है...कितना कुछ
गवा दिया फिर कुछ हासिल किया..यक़ीनन वो सब ही तो अब अपना है...रंजिशे छोड़ी तो अपनापन
पाया,सच कहे तो वो अब सच मे अपना कहलाया...हाथ कंगन को आरसी क्या...जो बोया वही काटा..
फिर किस बात पे रोया...मेहनत से,सेवा से जो मिल पाया..हां आज वो ही सब अपना है...सेवा मे गर
अपना स्वार्थ दिखाया तो याद रख..कुछ भी ना पाया...