Tuesday 29 September 2020

 महकती चहकती इस सुबह ने बताया...बहुत कुछ खो कर जो पाया वही तो अपना है...कितना कुछ 


गवा दिया फिर कुछ हासिल किया..यक़ीनन वो सब ही तो अब अपना है...रंजिशे छोड़ी तो अपनापन 


पाया,सच कहे तो वो अब सच मे अपना कहलाया...हाथ कंगन को आरसी क्या...जो बोया वही काटा..


फिर किस बात पे रोया...मेहनत से,सेवा से जो मिल पाया..हां आज वो ही सब अपना है...सेवा मे गर 


अपना स्वार्थ दिखाया तो याद रख..कुछ भी ना पाया...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...