मधुर धुन पे बजता हुआ इक गीत है हम....जो कल चमके गा बन के सितारा,ऐसा इक खवाब है हम...
भूल जाए तुझी को,ऐसे गुस्ताख़ नहीं है हम...पर हमेशा तेरे नख़रे उठाए,वो आफ़ताब नहीं है हम...
दूर कहां जाना है,इसी जहां मे ही रहना है..प्रेम इक शुद्ध संगम है,राधा कृष्णा के परिशुद्ध प्रेम से हम
ने जाना है...सोना नहीं चांदी नहीं,हीरा भी तो नहीं..एक मामूली सा पत्थर है,जिस को तराशना किसी
और से सीखा नहीं...तराशे गे खुद को अपने आप से,अहसान लेना हमारी फ़ितरत ही नहीं...