कुछ गिला ही ना था पर ज़िंदगी जीने का अंदाज़ बदल सा गया था...तेरी खुशियां बस तेरी है,मेरा
वज़ूद आज भी वैसा है...वही गुजारिशें वही लम्हे..जो साथ थे मेरे बरसों से...यह ज़िंदगी बस इक
किताब ही तो है..मेरे पन्ने मेरे है और तेरे पन्ने तेरे अपने है...हम ने पन्नो को संभाल कर रख दिया
अपनी उसी पुरानी सी अलमारी मे...जो आखिरी सांस तक रहे गी साथ मेरे...किस ने कहा कि चिता
मे सब नहीं जलता...जल जाता है सब कुछ जो जीते जी हासिल ही नहीं होता...