नैनो की भाषा दोनों नैनो ने समझी..पर फिर भी इक दूजे को देख नहीं पाए...एक रोया तो दूजा भी संग
उसी के रोया...पर यह क्या,दोनों लिपट कर साथ संग रो नहीं पाए...दर्द भी था एक ही जैसा,तन्हाई के
भी साथी थे..देखना चाहा इक दूजे को पर पास हो कर भी पास ना थे...दर्द गुजरा जब हद से जयदा तो
जीने की राह एक ही थी...साथ उठे गे,साथ झुके गे...किस की हिम्मत इतनी जो रोक सके...तब से अब
तक यह दो नैना,संग हँसते है,संग रोते है..एक शरारत कर बैठे तो दूजा भी उस के रंग मे ढलता है..
सच बोले तो इन की मुहब्बत देख मेरा दिल कुछ कुछ जलता है...