Friday 18 September 2020

 नैनो की भाषा दोनों नैनो ने समझी..पर फिर भी इक दूजे को देख नहीं पाए...एक रोया तो दूजा भी संग 


उसी के रोया...पर यह क्या,दोनों लिपट कर साथ संग रो नहीं पाए...दर्द भी था एक ही जैसा,तन्हाई के 


भी साथी थे..देखना चाहा इक दूजे को पर पास हो कर भी पास ना थे...दर्द गुजरा जब हद से जयदा तो 


जीने की राह एक ही थी...साथ उठे गे,साथ झुके गे...किस की हिम्मत इतनी जो रोक सके...तब से अब 


तक यह दो नैना,संग हँसते है,संग रोते है..एक शरारत कर बैठे तो दूजा भी उस के रंग मे ढलता है..


सच बोले तो इन की मुहब्बत देख मेरा दिल कुछ कुछ जलता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...