सफ़ेद लिबास है पहचान तेरी...एक क़तरा आंसू मुझ पे गिरा देना,यह आने की खबर है तेरी...तेरी इस
आहट की पहचान है मुझे बरसों से...इंतज़ार होती है मुझे हर बार तेरी आहट की...ना तूने कुछ मुझे
कहा कभी और ना कभी तुझ से मेरी कभी कोई बात हुई...फिर भी जो तुम ने कहा वो सब मैंने सुन
भी लिया....मुझ से जुड़ना तेरा और मुझे तुझी को याद रखना सदा ...नाम बेनाम कुछ भी तो नहीं...
पर दूर तक बहुत दूर तक,यह कौन सी चादर है जिस का सिरा ना तुझ को पता और ना मुझ को
है कोई खबर..