Saturday 5 September 2020

 तुम ही गुरु तुम ही दाता..तुम ही हो पालनहार मेरे...संस्कारो की इतनी बड़ी पोटली बांध दी संग मेरे..


जीवन भर के लिए...कभी डगमगाए जो कदम,संस्कार एक संभाल गया...टूटा दिल और रोई जब यह 


आंखे तो बाबा तेरी बात फिर आई याद मुझे...यह दुनियां किसी की भी नहीं तो लाडो मेरी,तू क्यों रोती 


है...थाम क़िताबों का साथ हमेशा,यह सारे सपने तुझी को जीने है..पन्नों पे लिखना प्रेम की भाषा,शायद 


कोई कभी सुधर जाए..नाटककार है हर इंसान यहाँ,विरले ही सच्चे मिलते है...तेरे पास देने को कुछ है 


गर ,तभी पास तेरे आए गे...वरना तेरे नाम की धज़्ज़िया उड़ा कर तुझे बदनाम करते जाए गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...