यह शब्द भी भरे है कितनी जान से ..छिपी है इन्हीं मे दुआ तो इन्हीं मे छुपा फरमान होता है..यही करते
है शिकायत तो यह बद्दुआ भी दे डालते है...शब्दों ने कभी रुला दिया तो कभी खूबसूरत रंगो से सजा
दिया...हज़ूरे-आला मौत को गले लगाने से पहले,यही तो है जो लिख जाते है अपनी कहानी,फ़साना
अपना...किसी ने बोले मीठे बोल तो दिल लुभा लिया तो किसी ने दिखाई बेरुखी तो दूर रिश्ते को कर
दिया...यक़ीनन,कितनी ही जान भरी है इन शब्दों मे...