यह शब्द क्या कहना..एक चला तो साथ और भी चल दिए...जुड़े इक दूजे से और कहानी अपनी बयां
कर गए...किसी को यह पसंद आए इतना कि दिल के कोने मे बंद कर लिए..किसी ने सजाया इन को
अपने आशियाने मे और नाम बरकत दे दिया..फिर दिखे यह शब्द साजन की आँखों मे और सवालों
का जवाब वही रुक गया...नटखट हो जाते है यह शब्द साजन की बाहों मे..खामोश होते है तब,जब
इबादत मे खुदा से बात करते है...